मन तू हमेशा उडता ही रहता है
कभी शांत नहीं बैठता
कभी गति धीमी नहीं करता
जाने कहाँ कहाँ से
क्या क्या तेरे में समाया
समय-समय पर चक्कर लगाता रहता है
स्वयं भी परेशान
दूसरों को भी परेशानी
तू कुछ भूलता भी नहीं
कमाल की है तेरी स्मरण शक्ति
वही बातें याद रहती है
जो सालती है
कितना अतीत के पन्ने उधाडेगा
शांत बैठना तेरी फितरत में नहीं क्या ??
शरीर कमजोर हो जाता है
तू उसके अंदर रह कर भी कमजोर नहीं होता
ऑखों में धुंधलापन
कानों में बहरापन
हाथ - पैरों मे लडखडाहट
वाणी मे कपकपाहट
पर तुझे फर्क नहीं पड़ता
तू तो दिन पर दिन और मजबूत
जो बातें पहले हंस कर टाल दिया करता था
अब तो दिल पर लगा लेता है
कूढता रहता है
टीसता रहता है
छोड़ दे न यह सब
अब मत भर उडान
पंख तो तेरे भी कमजोर हैं
कब धम्म से गिर पडे
तब मत कर यह
मन को आपे मे रख
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