जिंदा रहने की परिभाषा
जब तक सांस चल रही तब तक
रूक गई यानि मर गई
यह तो हुई शरीर की बात
देखा जाए
तो कुछ लोग रोज मरते हैं
जिंदा लाश होते हैं
कुछ अपना जमीर बेचकर
कुछ अपना आत्मसम्मान बेचकर
मरता तो है
मरता न क्या करता
परिस्थितियों का दास
लालच का गुलाम
पेट की आग
परिवार की देखभाल
ऊंचे उडान की चाह
बहुत कुछ कर जाता है
जिंदा रहने के लिए
असल में वह जिंदा रहता है क्या ??
शायद नहीं ।
बहुतेरे मिल जाएंगे
जिंदा लाश
सब कुछ मर चुका
बस सांस आनी जानी है
तब तो यह जीना हुआ क्या ???
No comments:
Post a Comment