दर्द दिल में हो
देह में हो
दर्द तो दर्द ही होता है
हमेशा दुखदायी ही होता है
कोई नहीं चाहता
यह पास आए
तब भी यह आ ही जाता है
चोरी चोरी चुपके चुपके
इसकी भी अपनी एक अदा है
यह वार करता है
अपनी गिरफ्त में ले लेता है
फिर धीरे-धीरे अपना सा बन जाता है
साथ ही रह जाता है
और कोई फर्क नहीं पड़ता
जीने की आदत बन जाती है
सहने की आदत बन जाती है
तब दर्द दर्द नहीं रहता
जीवन का हिस्सा बन जाता है
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