वह चूल्हा - चौका करती थी
दूसरों के घरों में बरतन मांजती थी
उनकी जूठन साफ करती थी
झाडू - पोछा करती थी
ताकि उसका घर - परिवार चलें
बच्चों का पेट भरें
वह माँ थी
उसका गुजारा तो हो जाता
बच्चों का कौन करें
बच्चों का बाप शराबी - कबाबी
उसका भी पेट भरना है
वह है यही एहसास काफी है
गले में मंगल सूत्र और माथे पर बिंदी
यह उसके सुहाग की निशानी है
सुहाग संभालना
बच्चे संभालना
यह उसकी जिम्मेदारी है
कहने को तो है
उसका भी एक परिवार है
एक घर है
एक अदद पति है
जिसके बल पर इतराती है
घर भले वह चलाती हो
घर का मुखिया तो वही हैं
उसका मरद
मन में आया तो मारा - पीटा
मन में आया तो दुलराया
यही हर समय दोहराया जाता है
वह काम करती रहती है
हड्डियां तोडती रहती है
पसीना बहाती है
तब घर चलाती है
एक घर में काम कर व्यवस्थित करती है
तब उसका अपना घर व्यवस्थित होता है
वह कामवाली बाई है
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