यह कहानी नहीं हकीकत है
भाग्य के हाथों लिखी पुस्तक है
जिसकी जिल्द पुरानी
भावनाएं अब भी नयी है
यह वह जिंदगी है
जिसके हर पन्ने की अपनी ही दास्ताँ है
कभी बैठो फुरसत से
झांको अपने अंतर्मन में
हर पन्ने को पलटो
उसका हिसाब - किताब करों
देखो तो सही
क्या हासिल
कितना घाटा
कितना मुनाफा
जोड़ो - घटाओ
गुणा - भाग करो
अंत में तो बस शून्य ही
यही तो हकीकत है
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