साडी पहनो
घूंघट निकालो
बिन्दी लगाओ
सिंदूर पूरी मांग भर भरो
कान में बाली
नाक में नग
मंगल सूत्र पहनो
बिछिया पहनो
पायल पहनो
भर भर हाथ चूडी पहनो
उंगली मे अंगूठी
इसके अलावा
करधनी , बाजूब॔द , हार , मांगटीका
और न जाने क्या-क्या
यही पैमाना है मापने का
सबसे अपने आप को जकड लो
फिर देखो सब खुश
आप उनके मापदंड पर खरी उतरने वाली बहू
सर्वगुण संपन्न
भले ही अंदर एक चंडी का रूप
शुरू शुरू में तो सब इस रूप पर फिदा
वह आधुनिक जो नहीं है
जिस देश में पहरावा से मापदंड हो
सही और गलत तय किया जाता हो
अच्छा और बुरा की उपाधि दी जाती हो
उसी में हम भी रहते हैं
टेलीविजन की नायिकाएँ इसका अच्छा उदाहरण है
नख से शिख तक सजी संवरी
भारतीय नारी का उत्तम उदाहरण
संस्कृति और परम्परा के नाम पर
न जाने कितनों पर तोहमत लगाई जाती है
यह सब एक छलावा है
जबकि पहरावो से ज्यादा स्वभाव को तवज्जों दिया जाये
गुणों को तवज्जों दिया जाये
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