हर दिन एक नया अध्याय
जब तक समझे
तब तक दूसरे के पन्ने खुल जाते हैं
सब गडबड हो जाता है
एक - दूसरे में मिल जाते हैं
समझ नहीं आता
कौन कहाँ से शुरू
खत्म होने का तो सवाल ही नहीं उठता
रामायण और महाभारत
इस जिंदगी के अध्याय के सामने कुछ भी नहीं है
उनको तो पढकर पूरा कर लिया जाता है
यहाँ तो वक्त की तेज रफ्तार चलती है
हम भागते भागते भी न पूरा कर पाते हैं
कुछ छूटा
कुछ अधूरा रह ही जाता है
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