Monday, 15 February 2021

मुझे अकेला छोड़ गए

देश की शान
मेरी जान
तुम कहाँ चले गए
मातृभूमि पर बलिदान हुए
मैं निराधार हुई
तोपों की सलामी मिली
मेरी मांग उजाड़ हुई
तिरंगा में तुम्हें लिपटाया
मुझे सफेद लिबास मिला
आजादी का गीत गूंजा
मेरी चूड़ी टूटने की खनक हुई
तुम भारत माता के लाल कहलाए
मेरे माथे की बिंदिया हटी
मेरी घर - आंगन सूना
तुम्हारे जनाजे में भीड़ उमड़ी
सब कुछ छोड़
तुम कहाँ चले गए
इस दुनिया के मेले में मुझे अकेला छोड़ गए
यह मेला कुछ समय का
यह सांत्वना कुछ पल की
यह भीड़ मुझे क्या देगी
जब मेरा सब कुछ तुम साथ ले गए
सुख - चैन
आशा - आंकाक्षा
सब कुछ खत्म हो गया
अपने तो चले गए
मुझे अकेला छोड़ गए

No comments:

Post a Comment