मत रूठो अपनों से
मत मुंह मोड़ो अपनों से
अपने तो अपने होते हैं
वो दिल के करीब होते हैं
उनका दर्द आपका दर्द
उनका दुख जब बर्दाश्त नहीं
तब उनसे बोलचाल क्यों बंद
उनके बिना जी नहीं लगता
तब उन्हें देखें बिना कैसे रहा जाता
अपने अजीज के साथ अजीब सा बर्ताव
क्यों होता है
अपने तो अपने ही होते हैं
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