आंगन में आती गौरैया
ची ची करती
सुबह-सुबह हमको जगाती
खिडकी दालान में घोसले बनाती
कुछ ज्यादा की चाह नहीं
बस कुछ दाने ही काफी
घर के आसपास मंडराती
आज जाने कहाँ गुम हो रही
यह नाजुक सी चिडियाँ
गाँव - घर की पहचान चिडिया
इनको भी रहने का है अधिकार
कहीं हो न जाएं
विकास की चकाचौंध में इनकी ची ची गायब
इनका भी घर रहने दो
इनको भी मुक्त विचरने दो
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