हर कोई ताजमहल बनाना चाहता है
अपनी प्रियतमा के लिए
पर हर कोई शाहजहाँ नहीं होता न
वह प्यार तो करता है जी जान से
पर वह बादशाह तो नहीं है न
वह भी चाहता है अपनी मुमताज के लिए कुछ करना
पर उसकी उतनी औकात तो नहीं न
शाहजहाँ न बने मांझी ही बने
जिसने पहाड़ खोद रास्ता बना दिया
किसी मजदूर और कारीगर के दम पर नहीं
पैसों - रुपयों के दम पर नहीं
अपनी मेहनत के बल पर
एक ने न जाने कितनों के हाथ कटवा दिए
एक ने सबके लिए रास्ता बना दिया
एक केवल सौंदर्य की धरोहर रह गया
दूसरा रोजमर्रा के उपयोग का हो गया
प्यार तो प्यार ही होता है
अमीरी-गरीबी से उसका नापतौल नहीं हो सकता
राजा हो या मजदूर
उसका प्यार तो प्यार ही होता है
एक हीरो के हार देता है
दूसरा दो जून रोटी का इंतजाम करता है
दोनों ही अपनी प्रियतमा के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहते हैं
प्यार कोई व्यापार नहीं
उसका कोई मोल तोल नहीं
किसका कम किसका ज्यादा
प्यार तो बस प्यार है
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