जिंदगी एक कहानी है
कहाँ से शुरू कहाँ पर खत्म ??
हर दिन कहानी का एक नया अध्याय
एक खत्म तो दूसरा शुरू
हर कथा कहानी के कुछ अध्याय
इसके बाद कथा समाप्त
सब अपने - अपने घर प्रस्थान
फिर वह भगवान की हो
फिल्मों की हो
टेलीविजन मलिका की हो
कभी न कभी खत्म होना ही है
कोई एक घंटे
कोई तीन घंटे
कोई दो साल
पर यह कहानी तो साथ - साथ चलती है
कब कौन सा रूप लेंगी
कब करवट बदलेगी
कब देखते देखते खत्म करेंगी
इसका अंत कोई नहीं जानता
सुखांत या दुखांत
बस एक प्रश्न चिन्ह
क्यों कि यह कहानी हमने नहीं लिखी है
भाग्य ने लिखी है
ऊपर वाले भाग्य-विधाता ने लिखी है
तब तो आरम्भ और अंत उसी के हाथ में
हम तो बस पात्र है
वह भूमिका दे रहा है हम निभा रहे हैं
कितना अच्छा अभिनय हम कर पाते हैं
कितने अच्छे कलाकार हम
सुख - दुख , गम और खुशी
वह किस तरह निभाते हैं
यह हम पर निर्भर है
कहानी भी उम्र भर की है
जब तक जीवन है , आखिरी सांस है तब तक
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