अरे । बीमारी - वीमारी कुछ नहीं
हमारे यहाँ तो सब ठीक-ठाक है
यह सब फालतू की बातें हो गई है
सब टेलीविजन और मीडिया की कारस्तानी है
न जाने क्या - क्या दिखाते हैं
बस इनको अपनी दुकान चलानी है
अगर स्कूल बंद है तो क्या हो गया
कौन सी पढाई खराब हो रही है
साल बर्बाद हो रहा है तो होने दो
जान से बडा तो कुछ भी नहीं है
पढ - लिखकर क्या होता है
कलेक्टर तो बनना नहीं है
बेकारी के आलम में घर में ही तो बैठना है
चुनाव है तो प्रचार तो करना ही पडेगा
नेताजी का साथ तो देना ही पडेगा
रैली और सभा में शामिल होना पडेगा
तभी तो मुर्गा और शराब का जुगाड़ होगा
थोड़ा सा पास पास आ गये
तो क्या फर्क पडता है
कौन सी आफत आने वाली है
अब पाप बढ गये हैं
तब गंगा में धोना ही पडेगा
कुंभ में डुबकी लगानी ही पडेगी
आस्था के समंदर में बीमारी की क्या बिसात
एक साथ लाखों लोग लगाएंगे
सब गंगा में विसर्जित करेंगे
बीमारी तो आप ही भीड़ देख भाग जाएंगी
किसान आंदोलन चल रहा है
चलने दो
देश का अन्नदाता सडकों पर है
उसकी मांग क्यों मानें
वह तो ऐसे ही मरता रहता है
अगर बीमारी से मर गया
तो क्या बिगड़ जाएंगा
कुछ दिन रो कर सब चुप हो जाएंगे
ऑक्सीजन की किल्लत है
सरकार क्या करें
अस्पताल में बेड की कमी है
सरकार क्या करें
दवाईयों की दुकान पर दवाई नदारद है
सरकार क्या करें
यही तो कमाने का समय है
कालाबाजारी की बाढ है
भ्रष्टाचार की ऐसी की तैसी
सब कुछ यथावत चल रहा है
कब तक घर में बैठे
मास्क लगाएं
नियमों का पालन करें
दूरी बनाकर रखें
जीए की नहीं
सब पगला गये हैं
दिमाग फिर गया है
मजे से घूमो - फिरो
मिलना - मिलाना छोड़ दे
रिश्तेदारों के यहाँ न जाएं
शादी - ब्याह में धमा - चौकडी न करें
त्यौहार और उत्सव न मनाएं
तब करें तो क्या करें
बस घर में बंद हो
सोशल डीशस्टिंग का पालन करें
सब ढकोसले हैं
सबकी मिली भगत है
अरे । बीमारी - वीमारी कुछ नहीं
हमारे यहाँ तो सब ठीक-ठाक है
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