Monday, 10 May 2021

सोशल मीडिया और माँ

कल से आज तक माँ  छायी हुई  है
फेसबुक  और सोशल मीडिया  पर
यह तो आज की हकीकत  है
दिखाना पडता है
दर्शाना पडता  है
विज्ञापन का जमाना है
सबको पता कैसे  चलेगा
अच्छा  है
इसी बहाने एक दिन ही सही
जो भूले होंगे 
वह भी याद कर लेंगे

माॅ  तो आज की है नहीं
शाश्वत  है
मीडिया  में  हो न हो
दिलों  में  हमेशा विद्यमान  रहती है
यशोदा  का प्रेम  अमर है
बिना जन्म  दिए भी माता  का प्यार 
वह तो एक मिसाल  है
माॅ  किसी परिचय  की मोहताज  नहीं

जब जब चोट लगती है
तब तब माँ  ही याद  आती है
भूख लगती है तब भी
पीड़ा होती है तब भी
अपने बच्चों  के लिए 
भीगी बिल्ली  भी बन जाती है
शेरनी  भी बन जाती है
किसी  के  आगे झुक जाती है
किसी  से भी पंगा ले सकती है

अपनी सामर्थ्य  से ज्यादा
बच्चों  के  दिल में  माॅ बसे या न बसे
माँ  के  दिल में  बच्चे  अवश्य  निवास करते हैं
उसके बच्चे  में  सारी खुबियां
वह भी केवल उसी को  दिखाई देती है
तभी तो कहते हैं
पुत्र  कुपुत  भले हो
          माता हुई न कुमाता

No comments:

Post a Comment