एक कहानी सुनी थी किसी के मुख से ।
एक बच्चा अपनी माँ के साथ समुंदर किनारे जाता है वहाँ पर लहरे आती है और बडी संख्या में मछलियाँ बाहर फेंक जाती है । यह सात - आठ साल का लडका अपने हाथों से उठाकर फिर अंदर फेंक देता है ताकि मछलियाँ बच जाएं।
माँ कहती है इससे क्या होने वाला ।तेरे हाथ तो बहुत छोटे हैं । क्या फर्क पड जाएंगा ।लडका नहीं मानता है वह अपनी क्रिया दोहराए रखता है तब माँ उसका हाथ पकड़ लेती है रोकने के लिए।
लडका हाथ छुड़ा कर एक मछली उडाकर फेंकता है और कहता है इसको फर्क पडता है
दूसरी उठाता है उसको भी समुंदर में डालता है
कहता है इसको फर्क पडता है।
माँ मुस्कराती है कहती है
हाँ तू सही कह रहा है
सब कुछ तो हम नहीं कर सकते पर किसी एक को भी सहायता कर सकते हैं तो अवश्य कर दें।
घडे की हर बूंद का महत्व होता है
कोई न सही हम ही सही
पहल करके तो देखें
किसी की दुनिया बदल जाएंगी ।
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