Wednesday, 19 May 2021

कान्हा और कृष्ण

सवाल है कान्हा तुमसे
तुम राधा के हो या रुक्मिणी  के
अगर  प्रेम  राधा  से
तब ब्याह  रुक्मिणी  से
प्यार  बंटता  भी नहीं
प्रथम  प्रेम को भुलाया  नहीं जा सकता
राधा को तो तुम  कभी भूले ही नहीं
राधा भी तुमको कभी  भूली नहीं
तब क्या  रुक्मिणी  से प्रेम  नहीं  था

नहीं  प्रेम  को बांटने की भूल न करें
प्रेम  का स्वरूप  अपार  होता है
प्रेम  तो मुझे  दोनों  से था
एक मेरी  बाल सखी थी
उसके साथ खेला कूदा था
निश्छल  प्रेम  था
वह कान्हा  का राधा से प्रेम  था
गोकुल  से  गोपियां  सब उसमें  समाएं  हैं
मैं  हमेशा  राधा का  रहा
तभी  तो राधे श्याम  कहलाता  हूँ
उसके साथ ही पूजा जाता  हूँ

रुक्मिणी  से भी प्रेम  था
वह रानी थी मथुरानरेश  कृष्ण  की
वहाँ  मैं  राजा था
कूटनीतिज्ञ श्रीकृष्ण
ईश्वर  था

राधा का कान्हा  और  रुक्मिणी  के कृष्ण  में  बहुत  फर्क था
एक राजा और दूसरा  गोपाल
एक का पति था दूसरे  का प्रेमी
एक गोपी दूसरी  राजकुमारी
राजकुमारी के लिए  मैं  अपनी गोपी को नहीं  भूला
राधा  मेरे मन में  थी
रुक्मिणी  मेरी  अर्धांगनी  थी
कर्तव्य  दोनों  के प्रति  था
एक को दिल में  बिठाया 
दूसरी  को अपने  साथ  राजसिंहासन पर
कान्हा ही कृष्ण  है प्रेम  भी शाश्वत  है

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