आज प्रकृति ने भी ली अंगडाई है
फिर बरखा की फुहार आई है
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरा
प्रकृति का भी डोले जियरा
मौसम हुआ सुहावना
हरियाली से हुए गदगद
पेड - पौधे और तपती धरती
वे भी है डोल रहे
हर हर शोर मचा रहें
मेंढक उछल कूद कर रहें
चिडियाँ रानी घोसले में दुबकी
मिट्टी भी सौंधी सौंधी महक रही
सब मानो कह रहे
बरखा रानी जरा जम के बरसों
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