यह कहने वाले के के अग्रवाल चले गए
SO WHAT ??
क्या गजब का अपनापन था
बात करते ही डर छू मंतर
करोना ही नहीं भय को भी भगाया
न जाने कितने करोड़ लोगों को उनकी सलाह से फायदा हुआ
उनकी शुरूआत सेनेटाइजर से हाथ धोने से लेकर बात करने तक
घर का भी अपनत्व से हालचाल पूछना
किसी बच्चे का दादा या नाना बन बात करना
घर में किस तरह रहना
ऑक्सीजन लेवल किस तरह चेक करना
न जाने कितनों ने अस्पताल जाने की बजाय घर में ही रह उनकी सलाह मानी
ठीक भी हुएं
उनका हंसते - मुस्कराते बात करना
पानी- चाय की चुस्कियां लेते या कुछ चबाते
बातचीत करना
ढाढ़स बंधाना
दो साल के करीब हो रहा है पर हर दिन तीन - चार बार लोगों के सामने आना
अगर ज्यादा गंभीर हो तो व्यक्तिगत रूप से बात करना
बीमारी में भी विश्राम नहीं
मानवता के ऐसे सेवक बिरले ही होते हैं
जब लोग अंधाधुंध कमाने की और पेन्डामिक का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हो
ऐसे समय में भी एक देवदूत बन लोगों को दिन रात सलाह दे रहा हो
अच्छा कर रहा हो
बहुत बडी क्षति है यह देश की
डाक्टर साहब आप को जाना नहीं था
ऐसे समय में तो आपकी जरूरत है
पर नियति के आगे किसकी चलती है
सबको जीवन दान देने वाला आज स्वयं का ही जीवन खो बैठा
करोना ने इतना कुठाराघात किया है
हमारे डाॅक्टर को भी छीन ले जा रहा है
अलविदा डाॅक्टर साहब
पर आपका यह कहना
SO WHAT??
हम नहीं भूलेंगे
बीमारी ही नहीं किसी भी बात में
हो गया तो क्या हुआ ।घबराने की कौन-सी बात।
सब ठीक हो जाएंगा ।
पर आपका जाना ठीक नहीं हुआ ।
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