Friday, 7 May 2021

चल ही रही है चलने दो

झोली तो खाली ही रही
कभी  पूरी भरी नहीं
इंतजार  करते रहें
इंतजाम  करते रहें
फिर भी रीति ही रही
कहीं  न कहीं  कोई  कमी ही रही
सोचते रहे
अब ठीक होगा
तब ठीक होगा
तब चैन की सांस लेंगे
एक सुकून  मिलेगा
चलो अपनी  जिम्मेदारी  पूरी हो गई
पर वह वक्त  आज  तक आया नहीं
घडा तो पूरा कभी भरा ही नहीं
तब कैसे  बीच मंझधार  में  छोड़  दे सबकुछ
क्योंकि अभी तो बहुत  कुछ  बाकी है
उसको भरना है
यह जानते   हैं
हमारे  हाथ में  तो कुछ भी नहीं
वक्त  का पहिया
कब किस करवट बदलेगा
तब फिर सपनों  का क्या  होगा
पूरे होंगे ??
देखने में  क्या जाता है
चल ही रही है चलने दो

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