दशा दस साल
चलन चालीस साल
यह कहावत सुनी
लगा एकदम सही कहा है पुरखों ने
बहुतों को देखा
बडा बनते
धन और नाम कमाते
जमीन पर गिरते भी देखा
रावण हो या कंस
विजय माल्या हो या मेहुल चौकसी
बडे से बडा डाॅन
बडे से बडा बाहुबली
बडे से बडा माफिया
बडे से बडा नेता
जिनकी एक समय जय - जयकार
वही दूसरे समय गलियों के पात्र
डरा सकते है पर कितने समय
दिलों पर राज करना है तो अपने आचरण से
डर और खौफ से नहीं
नहीं तो अंत विकास दुबे की तरह
अपने कर्मों का परिणाम तो भुगतना ही पडता है
आज कलाम और भगतसिंह को लोग पीढी दर पीढी याद रखेंगे
वह भी सम्मान से
वही एक बदमाश को घृणा की दृष्टि से
यहाँ तक कि उसके परिवार जनों को भी
तब ऐसा कुछ करिए
चालीस साल क्या
लोग बरसों तक याद रखें
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