Monday, 12 July 2021

हम तो भावनाओं के साझीदार हैं

बिजली चली गई है, दो दिन हो गए हैं। मोबाईल चार्ज नहीं है मन में कोफ्त हो रही है
बेचैनी मची है लगा कुछ खो गया है
हमेशा की आदत है सुबह उठते ही मोबाईल देखना
मैसेज करना ,कुछ पोस्ट करना
ऊंगलियां टिप - टिप
कुछ लिखना तो था आदत जो बन गई है
पेन - कागज उठा लिया । बहुत दिन से धुल  खाती नोटबुक को झाडा।
लगा पेन कुछ कह रही है
बहुत समय बाद याद आई मेरी
मैं तो हमेशा की साथी
कागज भी बोल पडा
मेरे बिना आपका काम चल जाता है वह तो ठीक है
पर मेरी याद नहीं आती
कलम- कागज दोनों मेरा मुख देख रही थी
मुझे जता रही थी
कह रही थी मानो
पुराने दोस्तों से नाता नहीं तोड़ा जाता
हम तो हर वक्त साथ रहे हैं
अंधेरों में भी
उजालों में भी
सुख में
दुख में
बचपन में
जवानी में
बुढापे में भी
हम मशीन नहीं है जो बिगड़ जाएं
हमें चार्ज की जरूरत नहीं
हम तो आपकी भावनाओं के साझीदार हैं
खुशी हुई
आपको हमारी याद तो आई

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