हम नास्तिक नहीं है
आस्तिक है
उस परम पिता पर विश्वास है
श्रद्धा और आस्था है
फिर अगर दुख और पीड़ा हो
तब नाराज किससे हो
यह सही है
कि हम भगवान को कोसते हैं
हमारे साथ ही ऐसा क्यों ??
हमारा भी तो कर्म है
जिसका फल मिलना है
पर कभी-कभी बिना गलती के भी
तब लगता है
हमारे भाग्य में ही यह सब
भाग्य को दोष
भगवान को दोष
परमपिता हैं वे
तब किसे कहें
मन की बात
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