माँ मशीन पर कपडे सिलती रहती है
फट जाये तो सी देती है
रफू कर देती है
पता भी नहीं चलता
कमाल की दर्जी है वह
बच्चे भी गलती करते रहते है
वह छुपाती रहती है
सबसे पहले पिता से
परिवार से
घर के बाकी सदस्यों से
शिक्षक से
समाज से
ऐसा गलतियों की रफू करती है
कोई ताड ही नहीं पाता
बच्चों पर ऑच नहीं आने देती
गलती होने पर ऐसे लड जाती है
जैसे एकदम सही हो उसकी संतान
एक बार नहीं
न जाने कितनी बार
झूठ बोलती है
बहाना करती है
बच्चे बडे हो जाते हैं
आत्म निर्भर हो जाते हैं
तब लगता है
अगर माँ ने उस समय न बचाया होता
हम पकड़े गए होते तो
कितनी मार पडती
क्या हश्र होता
घर में रहते कि छोड़ते
माँ ने पूरी ताकत लगा दी
इतनी बारीकी से रफू करती रही
कि वह जगह फिर कभी फटी नहीं
फटते - रफू करते
ठीक-ठाक करते करते कब हम बडे हो गए
इसका एहसास ही नहीं हुआ
आज भी आशा है
कुछ हुआ तो माँ अब भी बचा लेंगी।
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment