Sunday, 10 October 2021

माँ तो बचा ही लेगी

माँ मशीन पर कपडे सिलती रहती है
फट जाये तो सी देती है
रफू कर देती है
पता भी नहीं  चलता
कमाल की दर्जी है वह
बच्चे भी गलती करते रहते है
वह छुपाती रहती है
सबसे पहले पिता से
परिवार से
घर के बाकी सदस्यों से
शिक्षक से
समाज से
ऐसा गलतियों की रफू करती है
कोई ताड ही नहीं पाता
बच्चों पर ऑच नहीं आने देती
गलती होने पर ऐसे लड जाती है
जैसे एकदम सही हो उसकी संतान
एक बार नहीं
न जाने कितनी बार
झूठ बोलती है
बहाना करती है
बच्चे बडे हो जाते हैं
आत्म निर्भर हो जाते हैं
तब लगता है
अगर माँ ने उस समय न बचाया होता
हम पकड़े गए होते तो
कितनी मार पडती
क्या हश्र होता
घर में रहते कि छोड़ते
माँ ने पूरी ताकत लगा दी
इतनी बारीकी से रफू करती रही
कि वह जगह फिर कभी फटी नहीं
फटते - रफू करते
ठीक-ठाक करते करते कब हम बडे हो गए
इसका एहसास ही नहीं हुआ
आज भी आशा है
कुछ हुआ तो माँ अब भी बचा लेंगी।

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