प्यार करना गुनाह नहीं
यह तो एक पवित्र अनुभूति है
प्यार में स्वार्थ नहीं आना चाहिए
किसी भी कीमत पर निभाना चाहिए
एक का सुख दूसरे का सुख
एक का दुख दूसरे का दुख
आदर और सम्मान
प्यार के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार
स्वयं को भी बदलना पडे तब भी
हर त्याग के लिए तत्पर
जिसने तुम्हारे लिए सारे जहां को छोड़ा है
अपनों को नाराज किया है
बगावत मोल ली है
तुम पर विश्वास किया है
उस विश्वाश को मरते दम तक निभाना
कभी साथ न छोड़े
यह वादा खुद से करना
तभी वह प्यार, प्यार है
अन्यथा एक प्रकार का समझौता है
यह किसी एक पर लागू नहीं
दोनों पक्षों पर लागू होता है
प्यार करना है तो दिलोजान से करें
धोखा और लालच बिल्कुल नहीं
शाहजहाँ न बने पर दशरथ मांझी जरूर बने ।
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