Wednesday, 27 October 2021

बारिश आती है

बारिश आती है
खत्म भी हो जाती है
जाती - जाती यह कहते जाती
अब अगले मानसून में
वह क्या सचमुच चली जाती है
शायद नहीं
गीली मिट्टी में नमी छोड़ जाती है
सबको हरियाली दे जाती है
सूखे हुए को नया जीवन दे जाती है
प्यासे को पानी दे जाती है
एक सौंधी सी महक दे जाती है
हर गंदगी को साफ कर जाती है
प्रकृति के हर कण - कण पर अपना छाप छोड़ जाती है
यह कहना कि वह चली गई
यह सही नहीं
वह हमारे साथ बनी रहती है
यादों में भावनाओं में
कुछ अच्छी  कुछ नागवार
पानी की बूँद की तरह मन को तरल रखती है
अभी बहुत कुछ बाकी है
सब कुछ खतम नहीं हुआ
बगिया अगर, सूखी है तो लहलहाएगी भी
खुशी अगर रूठी है तो मानेगी भी
मौसम तो आते जाते रहते हैं
कुछ भी हो तब भी बारिश का इंतजार तो सभी को रहता है
वह खत्म नहीं होती
बस थोड़े समय के लिए कहीं और चली जाती है
न खत्म होती है न हमें छोड़ती है ।

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