मैं तुम पर उपकार करता हूँ
तुम्हारी हर बात मानता हूँ
तुमको पूर्ण स्वतंत्रता देता हूँ
पूरा अधिकार देता हूँ
वेतन लाकर तुम्हारे हाथ में रखता हूँ
तुम जो चाहे जैसे चाहे खर्च करो
घर को सुचारू रूप से चलाओ
अब और क्या चाहिए तुम्हें
यही तो बात अखरती है
उतने में ही घर चलाना है
घर - गृहस्थी को संभाल कर रखना है
किसी बात में ना - नुकुर नहीं करना है
तुम्हारा हर आदेश मानना है
मान - मनुहार तुम क्या जानो
बस एक नाम चाहिए
समाज में सम्मान चाहिए
स्वतंत्रता किस काम की जो स्वयं बंधन में हो
सब काम पैसे से नहीं होता
मन और भावना भी होती है
वह छूना कहाँ तुम्हे कहाँ आता
यह सब काम तो एक रोबोट भी कर सकता है
उसमें और मुझमें यही तो फर्क है
वह मशीन है
मैं हाड - मांस की बनी व्यक्ति हूँ
जिसके सीने में एक कोमल दिल है
उस दिल को प्यार की जरूरत है
वह तो तुम्हारे पास कहाँ
शिकायत भी नहीं करना
शिकायत सुनने के लिए भी दिल की जरूरत होती है ।
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