Friday, 1 October 2021

बहुत कुछ बाकी है

अभी सब कुछ खतम नहीं हुआ है
बहुत कुछ बाकी है
मौसम बदला भले हैं
पर खत्म नहीं हुआ है
बरसात अभी भी  खत्म नहीं हुई है
होगी आज नहीं तो कल
आशा तो अभी भी है
आस है तो सब है
सूखा नहीं पडा है
हरियाली अभी भी कुछ बाकी है
बूंदे जैसी ही पड़ेगी
वह भी लहलहाएगी।

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