यह क्या है माँ
मैं बच्चा हूँ क्या ??
जब देखो तब टोक टाक
खाना खाने से लेकर बाहर जाने तक
मैं तो अब ऊब गया हूँ
जब देखो मुझे घूरती रहती हैं
कुछ अपने मन का करना मुश्किल
जब देखो तब उपदेश
यह नहीं करना वह नहीं करना
इतने बजे आना
फोन पर ज्यादा नहीं लगना
रात देर तक नहीं जागना
दाल खा ले
दूध पी ले
फल खा ले
जूस पी ले
आपका बस चले तो अपने हाथ से मेरे मुंह में निवाला डालना
अपनी जिंदगी जीऊ या नहीं
अपने मन का करू या नहीं
यह हर घर की कहानी
यह हर माँ की आदत
यह हर बच्चे का रियेक्शन
पर यह सिलसिला चलता रहता है
न माॅ मानती है
न बच्चा चिढना
क्योंकि दोनों अपनी अपनी जगह सही है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment