Monday, 1 November 2021

एक - दूसरे का साथ यही जीवन की मांग

आ गई मिलन की बेला
मिल लो जी भर
खुशियाँ मना लो
विरह का गम अब नहीं
बहुत रह लिए अकेले
अब तो रहना साथ है
ग्रहण जो लगा था
अब खत्म हो रहा है
अंधकार के बादल जो छाए थे
अब प्रकाश लेकर आ रहे हैं
तीज- त्यौहार भी आ रहे हैं
साथ में खुशी भी ला रहे हैं
मन में फुलझड़िया छूट रही है
द्वार पर बिजली की लडिया जगमगा रही है
रंगोली का रंग निखरा है
फूलों से हर घर महक रहा है
तोरण- बंदनवार सज रहे हैं
पकवानों की सुगंध आ रही है
हाट - बाजार पटे पडे हैं
बहुत दिनों बाद
यह मौका आया है
कसकर पकडे रखो
अपने और अपनों के साथ
मिलना - जुलना करों
मिलन की खुशियाँ मनाओ
ईश्वर का शुक्रिया अदा करो
अपनों का साथ है
क्या- क्या मंजर नहीं दिखाया
इस महामारी ने
समझा दिया
जीवन का मतलब
काल का प्रकोप जब होता है
तब कुछ साथ नहीं जाता है
बस जरूरत हैं
एक - दूसरे के साथ की
सहयोग की
एक - दूसरे का साथ
यही जीवन की मांग

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