Wednesday, 3 November 2021

यही जीवन का अटल सत्य

कर्म का फल तो भोगना ही पडता है स्वयं को ही

श्री राम की पत्नी होते हुए भी संन्यासी भेषधारी रावण द्वारा अपहरण करते समय सीता अकेली थी

पांच बलशाली पतियों के होते हुए भी दुःशासन द्वारा चीरहरण के समय द्रोपदी अकेली ही थी

चार पुत्रों के होते हुए भी राजा दशरथ के अंतिम समय में कोई  उनके पास नहीं था

सवा लाख नाती  वाले रावण के  मृत्यु के बाद कोई पानी देनेवाला और क्रियाकर्म करने वाला कोई नहीं रहा

सुदर्शन चक्र धारी और महाभारत में मुख्य भूमिका निभाने वाले भगवान कृष्ण मृत्यु के समय पेड पर अकेले ही थे

गांडीव धारी अर्जुन का पुत्र और भगवान कृष्ण का भांजा 
अभिमन्यु चक्रव्यूह में अकेले ही लड रहा था

आते हैं हम अकेले ही
गर्भ से बाहर निकलने के लिए जो संघर्ष शुरू होता है वह मृत्यु के साथ ही खत्म होता है
कौन हमारे पास रहेगा
कौन हमारे साथ रहेगा
अंत समय कैसा होगा
यह तो अनिश्चित ही है
कहने को सब पर साथ कोई नहीं
यही जीवन का अटल सत्य

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