Tuesday, 30 November 2021

कहाँ जाएँ बेटियां

खून से लथपथ
जली हुई
बलात्कार
सडक पर फेंकी हुई
हद है हैवानियत की
शैतानियत की
पाशविकता की
किस तरह से यह इंसान है
एक युवती के साथ इस तरह का दुष्कर्म
यह साधु और संतों का देश
मानसिकता इतनी विकृत
कहाँ जाएँ बेटियां
क्या करें
फिर घूंघट में कैद हो जाए
औरते घर से बाहर न निकले
डरती रहे कि
पता नहीं किस वेष में ये नराधम मिल जाएं
कब कोई उनकी हवस का शिकार हो जाए
कहीं न कहीं तो कमी है संस्कारो में
माता पिता की परवरिश में
समाज की मानसिकता में
औरतों को देखने के दृष्टिकोण में
सोच और विचार में
जब तक इस पर प्रहार नहीं होगा
इनको जड से खत्म नहीं किया जाएगा
तब तक यह होता रहेगा
भारतीय बदलाव नहीं चाहते
बेटा है घर का चिराग है
लडका है पुरूष है
वह कैसा भी है चलेगा
घी के लड्डू टेढे भी भले
नालायक ,आवारा ,शराबी ,नशेडी
फिर भी वह पुरुष है
कहाँ है इन हैवानो के माता-पिता
कहाँ है इनका परिवार
कहाँ है इनका इज्जतदार समाज
बहिष्कृत करें
कानून तो सजा देगा ही
इसके पहले यह दे
हाथों में मोमबत्तियाँ नहीं मशाल होना चाहिए
ताकि वही पर उनको जला दिया जाए
जिस तरह से इन्होंने कैरोसीन डाल एक
होनहार ,निरपराध युवती को जलाया है
उसको मौत दी है वह भी नृशंस
ये पापी तो नरक के भी हकदार नहीं
शर्म आती है
ऐसी सोच और ऐसे लोगों पर
घृणा उत्पन्न होती है
मानव जाति पर कलंक हैं

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