हाथी - घोड़ा पालकी
जय कन्हैया लाल की
आज न हाथी है
आज न घोडा है
पहले हाथी का होना अमीरी की निशानी थी
हाथी पर सवार होकर बारात जाते थे
सामान्य गृहस्थ के घर घोडा रहता था
तांगेवाला - इक्केवाला गरीब आदमी की रोजी-रोटी के साधन थे
बैल किसान की संपन्नता की निशानी थे
जितने बैल उतने ज्यादा संपन्न
किसान के मित्र जैसे थे
आज हाथी , घोडा ,बैल सब नदारद है
किसी को इनकी जरूरत नहीं
चिड़ियाघर या मनोरंजन के साधन के रूप में
गधा - खच्चर और ऊंट
यह सब भी लगभग नदारद
अब बस एक ही पशु है जो सबका प्यारा
वह है एक कुत्ता
उसका खयाल
उसको पालना एक प्रेस्टिज हो गया है
पहले भी रहते थे
कोई कोई पालता था
ज्यादा तर बाहर हर दरवाजे पर रोटी मिल जाती थी
रक्षा और स्वामिभक्ति के लिए जाना जाता है
पर इतना
परेशानी का सबब
आसपास और बच्चे परेशान
कुछ एतराज तो
पशु प्रेमी हैं ही
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