त्योहार आते हैं खुशी लेकर
रोना निषेध है इस दिन
माहौल खराब हो जाएंगा
खुश होने और खुशी बाँटने का दिन है
त्योहारों के बहाने ही सही
रिश्ते घर पर आते हैं
उसी बहाने मिलना - जुलना होता है
यह तो एक पहलू है
लेकिन एक और कसक भी रह जाती है
अपने जो छूट गए
हमसे दूर चले गए
दूसरी दुनिया में विचरण करने
वह बहुत याद आते हैं
हम हंसते जरूर हैं
पर ऑखों के कोरो में ऑसू झिलमिलाते हैं
कहीं निकल न जाए
इसलिए जबरन छुपाते हैं
हमारे वह अपने जो
कहीं से हमें देख रहे हो तो
महसूस कर सकते हैं
हम आज भी उन्हें याद करते हैं
सालों गुजर गए
पर जेहन में आज भी उनकी याद ताजा है
हर अवसर पर याद आते हैं
खुशी और त्यौहारों का मौसम हो तो और भी
शायद वे होते तो
खुशियाँ न जाने और कौन से रूप में होती
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