कल रात जोरों का तूफान आया
ऑधी चली
हवा के थपेडों से सब अस्त व्यस्त
किसी के घर का छप्पर उडा
तो किसी के घर की दीवार गिरी
बडे बडे पेड भी इस झंझा के आघात को सह न सके
वे भी धराशायी हो गए
रात भर पवन देवता ने तांडव मचाया
सुबह हुई
तूफान थम चुका था
चारों ओर शांतता पसरी हुई थी
सब जगह खामोशी
यह क्या ??
यह छोटे छोटे पौधे वैसे के वैसे
फिर सीधे खडे
उन पर कोई असर नहीं
लताएँ भी जमीन पर पसरी है
वह प्रसन्नचित्त हैं
तब प्रभावित कौन ??
बडे बडे और तने तने
जो झुका नहीं वह अवश्य गिरा
बडा अभिमान था अपने पर
अपनी विशालता पर
अपने बल पर
सब चकनाचूर
बहुत कुछ कह जाता है यह सब
प्रकृति सिखा जाती है जीने की राह
समझ सके तो समझो
न समझा वह अनाड़ी ।
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