जो सोचा था वह नहीं हुआ
जिसकी कल्पना भी नहीं की
वह हुआ
मन माफिक कुछ भी नहीं
फिर भी सोचना नहीं छोड़ा
अब फिर सोच रहे है
क्या गारंटी है कि वह होगा
नहीं ना
सोचना आप पर है
परिणाम आप पर नहीं
यह आप भी जानते हैं
हम भी जानते हैं
फिर भी सोचना नहीं छोड़ा जाता
मत सोचो
यह सुनते हैं
यह छुटता नहीं
दिमाग जो है
दिल जो है
उसी के आगे विवश
सब जानते समझते हुए भी अंजान
बस नहीं जिस पर हमारा
तब अब बस भी करो
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