नहीं रहे विनोद दुआ
वह पत्रकार जो अपना लगता था
सहज और सरल भाषा
टेलीविजन जगत के शुरुवाती दौर के पत्रकार
शांत और सुलझे हुए
धीरे से अपनी बात रखना पर मजबूती से
चीखते - चिल्लाते कभी देखा नहीं
शुद्ध हिन्दी बोलने वाले
जायका इंडिया का
हर कोई को भाता था
इनका बोलने का लहजा
चुनाव के समय विवेचना और विश्लेषण करने का तरीका
हर एक शख्स की अपनी खासियत होती है
देखने से ही लगता था
यह व्यक्ति काफी पढा लिखा और समझदार है
समाचार जगत में एक विशिष्ट स्थान
इस सीनियर जर्नलिस्ट को भूल नहीं सकते
जब जब जर्नलिज्म की बात होगी
विनोद दुआ जी जरूर उसमें होंगे
भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏🙏
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