बंजर में भी फूल खिलते हैं
पत्थर भी पानी से कट जाता है
कोमल होना मतलब कमजोर नहीं
पानी जब अपनी सीमा से बाहर हो जाता है
तब विध्वंसक हो जाता है
वह अपने बहाव में सब लपेट लेता है
उनको भी
जिनको उसने स्वयं सींचा है
जीवन दान दिया है
उसके ही किनारे खडे हो
पुष्पित और पल्लवित हुए हैं
सबको उखाड़ फेंकता है
कोई मोह माया नहीं रखता
हर बार परीक्षा वह ही नहीं देता
हर बार परख पर खरा उतरे
यह भी नहीं करता
साल भर पानी देता है
बरखा आते ही वह उफनता है
जो सब सीमा तोड़ डालता है
बार बार परीक्षा वह देने को तैयार नहीं होता
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