किसी की काॅपी करें
नकल करें
उसके पेपर की
उसकी रचनाओं की
हो सकता है
आपका नाम हो
आपकी प्रशंसा हो
वाह-वाही मिले तालियाँ बजे
लोग तो सत्य नहीं जानते
हाॅ आपकी आत्मा अवश्य जानती है
क्या सच में खुशी मिली
मन कहीं न कहीं कचोटता होगा
तालियाँ बजती होगी
तब लगेगा
दिमाग पर हथोड़े पड रहे हैं
पढते समय या बोलते समय
वह भावना आ पाएँगी क्या
नहीं ना
फिर क्यों यह काम
नकल तो नकल ही होती है
वह रचना की हो
व्यक्तित्व की हो
या कोई और
बचपन में जिस प्रश्न का उत्तर काॅपी किया था
उसमें अंक भले आते
मन यह कहता
यह तो काॅपी करने के कारण
अपनी मेहनत का आनंद तो कुछ और ही
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