सबने हमको भूला दिया
क्या हुई खता
यह अभी तक समझ न आया
वैसे हम कभी भी किसी को पसंद नहीं थे
फिर भी दिल के हाथों मजबूर थे
प्यार तो सब करते थे
इसीलिए हमसे जुड़ना
या हमारा उनसे जुड़ना मजबूरी थी
मजबूरी में मजबूती नहीं होती
कर्तव्य निभाना भी उसी का हिस्सा
वह तो उन्होंने भी निभाया
हमने भी अपनी सामर्थ्य भर निभाया
हाँ हम कहीं कमजोर थे
इसीलिए तो आज मंजर कुछ और है
लेन - देन होता है
वह पैसे में हो प्यार में।
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