Thursday, 24 November 2022

वह जामाना

राजा - महाराजाओं के दिन लद गए 
अब तो उनके महल बचे हैं 
उन महलों का रखरखाव होता है
पर्यटक देखने जाते हैं 
वाह-वाह करते हैं 
लौट आते हैं 
महल फिर सूना हो जाता है
यही महल कभी हलचल से भरे होते होंगे 
लोगों की हंसी और किलकारियां गूंजती होगी
पायल की रूनझुन सुनाई देती होगी
शहनाई और गायन होते होंगे 
इन सब की झंकार नहीं है
क्योंकि उसमें कोई रहता नहीं है
अतीत शानदार होगा
इसमें कोई शक नहीं 
यही हाल तो हम व्यक्तियों का है
कभी वे भी जवान होंगे 
उनका भी परचम लहराता होगा
पैर एक जगह ठहरते नहीं होगे
बाजुओ में दम होगा
जिस ओर निकल जाएं 
लोग देखते रह जाएं 
अब तो बस घर में एक स्थान मिला है
जो आते हैं 
वे प्रणाम करते हैं 
आशीर्वाद लेते हैं 
एकाध सेकंड बैठ हाल चाल ले लेते है
और पास से उठ जाते हैं 
कहने को हम बडे हैं 
लेकिन एक महल के खंडहर समान है
वह हमारा जमाना जो नहीं रहा 

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