एक राजा की बहन
एक राज्य की राजकुमारी
एक ईश्वरीय वरदान से युक्त राजा
ईश्वर का कभी परम भक्त भी रहा होगा तभी तो वरदान प्राप्त हुआ
किसी के हाथों नहीं मर सकता
न मानव न पशु
न दिन न रात
न घर में न बाहर
न अस्त्र न शस्त्र
न दिन में न रात में
आशीर्वाद और वरदान भी भक्त को दिया था भगवान ने
उसको कैसे जाने देते
भक्त का मान रखना जो था
हाँ अब वह घमंड के कारण राक्षसी प्रवृत्ति का हो गया था
अन्याय की पराकाष्ठा चरम सीमा पर थी
उसको मारने के लिए नरसिंह का अवतार लिया
उसी का बेटा परम भक्त प्रह्लाद हुए
नास्तिक के घर परम आस्तिक का जन्म
उनको मारने के तमाम उपाय
नहीं सफल हुआ
होलिका बहन की याद आई
बैठा दिया बुआ की गोद में अग्नि में
प्रह्लाद पर ईश्वर की कृपा थी वह तो बच आए
होलिका जल गई
उस दिन भी एक नारी चिता पर चढाई गयी थी
उसे सती बनाया गया था
आज हम होलिका दहन करते हैं
होलिका माता की पूजा करते हैं
इसका एक पहलू भी है
प्रह्लाद परम भक्त कहलाए
हिरण्यकशिपु को ईश्वर के हाथ मुक्ति मिली
रही होलिका जिसे हम आज भी जलाते हैं
बुराई के प्रतीक में
कहीं न कहीं वह भी अन्याय हुआ था ।
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