चारों ओर से घिर गया हूँ
चक्रव्यूह तैयार हो चुका है
मुझे पता है
मैं अकेला हूँ
मुझे कोई बचाने आने वाला नहीं है
अपनी लडाई खुद लडनी है
चक्रव्यूह से बाहर निकलना है
हार तो मैं मानूँगा नहीं
मुकाबला तो डट कर करना है
देखें क्या होता है
जीत हुई नहीं उससे पहले हार मान लेना
युद्ध का मैदान छोड़ भाग जाना
यह मुझे नहीं सिखाया गया
नित संघर्षों का सामना करना
अपनी राह बना लेना
यह तो मेरी आदत में शुमार
No comments:
Post a Comment