बहुत कुछ मिला
बहुत कुछ छूटा
मंजिल पर पहुंचना था
मैं चलता गया
कभी धीरे कभी तेज
कभी लगा
रूक जाओ
बस अब नहीं
रूकना हुआ नहीं
मन से बेमन से
कभी हंसकर
कभी उदास होकर
चलता ही रहा चलता ही रहा
हारा नहीं न बैठा
मंजिल करीब दिख रही है
थोडा-सा जोश आया है
क्या होगा
कह नहीं सकता
चलूंग जरूर पहुँचुगा जरूर
वैसे यह जिंदगी का सफर है
जिंदगी एक सफर है सुहाना
यहाँ कल क्या होगा किसने जाना
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