लोग तो ऐसे खंजर लिए खड़े
जैसे उन्होंने कभी कुछ गलती की ही नहीं
गलती ही तो हमें सिखाती है
अब वापस दोबारा नहीं होगी
तब तक एक नई गलती हो जाती है
यह तो मानव स्वभाव है
गलती करो उसको सुधारों
जान - बूझ कर गलत नहीं करना है
किसी को धोखा नहीं देना है
गलती का परिणाम भी तो हमको ही भुगतना पड़ता है
अपने को भी माफ कर देना है
आगे बढ़ते रहना है
इतनी लंबी जिंदगी
हम कमजोर मन के वशीभूत जीव
स्वाभाविक है
कोई यहाँ परिपूर्ण नहीं
ईश्वर थोड़ा ही है कोई
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