Saturday, 31 August 2024

जमाने की सोच

मत दो सफाई किसी को 
जिसको जो समझना है समझे 
यह समाज है साहब
हम करें तो सही नहीं तो गलत 
सोच है जमाने की

अपनी अपनी जिद

जिंदगी बिखरती रही
हम समेटते रहें
इस बिखरने और समेटने के चक्कर में दशकों बीत गए 
हम भी कम जिद्दी नहीं
वह भी तो अपने पर अडी हुई 
देखे जीत किसकी 
हार फिर भी न मानेंगे 
तेरी हर चाल का तोड़ निकालेंगे 
तू वैसे भी मुझको लगती प्यारी
कभी न कभी तो मेरा साथ देगी

Friday, 30 August 2024

हवा

आज मैंने हवा को ध्यान से देखा 
सुना भी समझा भी
वह दिखती तो नहीं
महसूस होती है
एहसास कराती है
अपने होने का
शीतलता भी और बवंडर भी
सब समाहित 
सांस की आनी - जानी 
वह है तो जीवन 
किसी को बताती नहीं 
जताती नहीं 
बस कर्म में लिप्त