Saturday, 31 August 2024

अपनी अपनी जिद

जिंदगी बिखरती रही
हम समेटते रहें
इस बिखरने और समेटने के चक्कर में दशकों बीत गए 
हम भी कम जिद्दी नहीं
वह भी तो अपने पर अडी हुई 
देखे जीत किसकी 
हार फिर भी न मानेंगे 
तेरी हर चाल का तोड़ निकालेंगे 
तू वैसे भी मुझको लगती प्यारी
कभी न कभी तो मेरा साथ देगी

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