हर दिल की हिन्दी
हर जाति धर्म की हिन्दी
जन जन की हिन्दी
हर हिन्दुस्तानी की हिन्दी
सबको जोड़कर रखती
नहीं किसी से भेदभाव करती
सबको मन से अपनाती
जिस रुप में ढालो उसी में ढल जाती
नहीं करती नखरे
प्यार से सबको अपनाती
ऐसी है हमारी हिन्दी
तभी तो सबको लगती प्यारी
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