उसे बेवकूफ बनाया गया
उसे इंसान समझा ही नहीं गया
दोयम दर्जा दिया गया
दासी की तरह व्यवहार किया गया
उसको कोई अधिकार नहीं दिया
उसको न मान न सम्मान मिला
स्वाभिमान को ताक पर रखा
फिर भी उसने घर को घर बनाया
पागलखाना नहीं
पति को भी परमेश्वर माना
घर पर उसका अधिकार भले न पर उसे मन से संवारा और सजाया
आने वाली पीढ़ी को तैयार किया
सबका ध्यान रखा भले ही उसे किसी ने तवज्जों न दी हो
मनुष्य समझता रहा उससे समझदार कोई नहीं
वही सर्वेसर्वा है
वह भूल गया कि वह जिसे दासी समझ रहा है असल में वह देवी है
लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा है
वही तो घरनी है जिससे घर , घर है
वह न रहें तब आपका सब रौब धरा का धरा रह जाएगा
उसको धर कर रखें आपका जीवन स्वर्ग बन जाएगा
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