कभी गाड़ी का इंतजार करते रहे 
वह समय पर न आई
कभी वह आई तो हम लेट हो गए 
कभी इतनी भीड़ कि 
हम चढ़ न सके 
कभी ट्रैफिक में अटक कर छूट गई 
कभी बारिश- तूफान की 
कभी टिकट न मिला 
हम तो सोचते रह गए 
बैठे ही रह गए 
सामने से ही सीटी देती निकल गई 
हम हसरत भरी निगाह लिए 
हर मोड़ पर ताके 
वह शायद हमारे नसीब में ही न थी 
वह गुजरती रही 
दिन भी गुजरते रहे
उम्र भी बढ़ती रही 
अब न पकड़ने की ताकत बची
अब न भीड़ में जाने की हिम्मत 
अब तो बस इसी तरह रहना है 
यही जिंदगी का फसाना है 
कभी रोना कभी हंसना है 
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