Friday, 12 September 2025

कृपा उसकी

कुछ मत मांगों उससे 
बस भक्ति मांगों
किसी के हाथ में कुछ नहीं 
चिंता कर क्या कर लोगे 
लोगों के आगे झुक कर क्या हो जाएगा 
भक्ति भी शायद सबके भाग्य में नहीं 
उसकी कृपा हो तब ही 
जिंदगी को समझते समझते 
अब समझ आया 
जिस पर उसकी कृपा हो 
उसी का जीवन सार्थक है 
सौंप दो उन पर सब
जो करना हो करें 
वैसे भी तुम हो क्या 
तुम्हारा अस्तित्व ही क्या 
शून्य भी नहीं 
थक गए सोचते- सोचते 
हार गए प्रयास करते- करते 
सांस की डोर उसके हाथ में 
न हम रावण है न हिरण्याक्श्यप 
सर काट कर चढ़ा भी नहीं सकते 
न भक्ति की ताकत न सामर्थ्य 
एक दिन तो भूखा रहा नहीं जाता 
क्षण भर भी विचार पर नियंत्रण नहीं 
मन स्वयं के वश में नहीं 
बस एक ही रास्ता है समर्पण 
छोड़ो सब 
वैसे भी तुम्हारा क्या है 

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